दुनिया जानलेवा महामारी कोविड-19 से जूझ रही है – दूसरे विश्व युद्ध के बाद हमारे सामने ये सबसे बड़ा चुनौतीपूर्ण संकट है – हम एक और तरह की महामारी का सामना कर रहे हैं – एक दुष्प्रचार की एक ख़तरनाक महामारी.
दुनिया भर में, लोग डरे हुए हैं. वो जानना चाहते हैं कि क्या किया जाए और कहाँ से सलाह ली जाए.
ये समय विज्ञान व एकजुटता का है.
फिर भी दुनिया भर में झूठ व ग़लत जानकारी – ‘Misinfo-demic’ की महामारी फैल रही है.
हानिकारक स्वास्थ्य परामर्श और निराधार समाधान पेश करने की भरमार हो गई है.
झूठ पूरी फ़िज़ाँ में भर गया है.
आधारहीन साज़िशों की काल्पनिक धारणाओं ने इंटरनेट को भी संक्रमित कर दिया है.
नफ़रत वायरल हो रही है, लोगों व समुदायों पर कलंक व दोष मढ़े जा रहे हैं.
विश्व को इस बीमारी के ख़िलाफ़ भी एकजुट होना होगा.
इस की वैक्सीन है भरोसा.
प्रथम, विज्ञान में भरोसा.
मैं उन पत्रकारों व अन्य लोगों का अभिवादन करता हूँ जो गुमराह करने वाली कहानियों और सोशल मीडिया पोस्टों के अंबार में तथ्यों की जाँच-परख कर रहे हैं.
सोशल मीडिया कंपनियों को नफ़रत को जड़ से मिटाने और कोविड-19 के बारे में हानिकारक जानकारी को रोकने के लिए और ज़्यादा क़दम उठाने होंगे.
दूसरे, संस्थाओं में भरोसा – जो सटीक कार्रवाई करने वाले, ज़िम्मेदार, सबूतों पर आधारित शासन व नेतृत्व पर टिका हो.
और एक दूसरे में भरोसा.
संकट की इस घड़ी में आगे बढ़ने के लिए परस्पर सम्मान व मानवाधिकार सुनिश्चित करने के उसूल हमारे रहबर होने चाहिए.
एकजुटता के साथ, आइए, हम सभी झूठ और मूर्खताओं को नकारें.
आज, मैं संयुक्त राष्ट्र की नई संचार पहल की घोषणा कर रहा हूँ.
झूठ व दुष्प्रचार की महामारी का मुक़ाबला करने के प्रयासों में इंटरनेट को तथ्यों और वैज्ञानिक जानकारी से भरपूर बनाने के लिए.
झूठ व दुष्प्रचार एक ऐसा ज़हर है जिसने और ज़्यादा ज़िन्दगियाँ दाँव पर लगा दी हैं.
एक साझा मक़सद व अक़्लमन्दी और तथ्यों के साथ हम कोविड-19 को मात दे सकते हैं – और एक ज़्यादा स्वस्थ, समान, न्यायसंगत व सहनशील विश्व का निर्माण कर सकते हैं.
धन्यवाद